ديوان الحقائق ومجموع الرقائق
للشيخ عبد الغني بن إسماعيل النابلسي
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| | ---- | 1 | | | *** | | | 2 | | | *** | | | 3 | | | *** | | | 4 | | | *** | | | 5 | | وأحببت | بالتكليف | إظهار | حكمة | الظهور |
| *** | | | 6 | | | *** | | | 7 | | | *** | | | 8 | | | *** | | | 9 | | | *** | | | 10 | | | *** | | | 11 | | | *** | | | 12 | | | *** | | | 13 | | | *** | | | 14 | | | *** | | | 15 | | | *** | | | 16 | | | *** | | | 17 | | لأنت | المنى | والقصد | يا | غاية | المنى |
| *** | | | 18 | | | *** | | | 19 | | | *** | | | 20 | | | *** | | | 21 | | | *** | | | 22 | | | *** | | | 23 | | | *** | | | 24 | | | *** | | | 25 | | | *** | | | 26 | | | *** | | | 27 | | | *** | | | 28 | | | *** | وقلبي | بذات | الخال | لا | العلم | ظافر |
| | 29 | | | *** | | | 30 | | | *** | | | 31 | | | *** | | | 32 | | | *** | | | 33 | | | *** | | | 34 | | | *** | | | 35 | | | *** | | | 36 | | فمت | في | الهوى | تحيى | وأغمض | عن | السوى |
| *** | | | 37 | | | *** | | | 38 | | | *** | | | 39 | | | *** | | | 40 | | | *** | | | 41 | | | *** | | | |
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